19 December 2005

शब्द प्राणायाम - 31 - 35

31- भजिया

स्वाद में
कितना अच्छा
आदमी को
लगने लग गया है,
भ्रष्टाचार
आज एक,
भजिया हो गया है!















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32- सीमेन्ट

पत्थरों को जोड़कर
कितना मज़बूत भवन
आदमी
बना रहा है,
काश,
ऐसी कोई सीमेन्ट होती
जो आज
आदमी को आदमी से
जोड़ देती!



















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33- बहन

कल की
आने वाली से
इतना नाता
जोड़ लिया है,
शक्कर ने
चाय के साथ मिलकर
अकेला,
गुड़ को छोड़ दिया है!


















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34- खेत

लहलहाती फसल का
समूचा विश्व
शिकार हो गया है,
बीमारियों के लिए
उपजाऊ बीज
आज,
टेंशन हो गया है!

















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35- सयानी

आज तक गुर अपना
दुनिया में,
किसी को नहीं सिखाया
अपना जाला
हमेशा,
मकड़ी ने बनाया!









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-रमेशकुमार भद्रावले
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