20 December 2005

शब्द प्राणायाम - 41 - 45

41- चलता-पुर्जा

लाँघकर,
झूठ की सीमा
नेता,
चलता-बनता है,
आश्वासन के
अंगारों में
वोटर जलता है!















*****


42- आकलन


धाँधली, रिश्वत, भ्रष्टाचार
ना ही कभी कुछ
सुनने में आया,
पुरस्कार योग्य तो
सिर्फ,
मलेरिया विभाग कहलाया!


















*****


43- आत्म-सम्मान


पानी तो,
आदमी से अधिक
उसमें भी होता है,
कटते ही
क्रोध, में
लाल-लाल
तरबूज होता है!

















*****


44- शिक्षक दिवस


दक्षिणा में
हमारी संस्कृति ने
अँगूठा तक काटकर
दिया है,
गुरु का सम्मान
हमने आज
पाँच सितम्बर से
जोड़ दिया है!

















******


45- बिल्ली


जब चाहे तब
भाग जाती है,
आजकल खिड़कियाँ
बिजली के बल्बों में
भी पाई जाती हैं
















-रमेशकुमार भद्रावले

*****

No comments: