08 January 2006

शब्द प्राणायाम - 91 - 95

91- प्रगति


जाने क्यों आदमी
दिन को भी,
रात बना रहा है,
सूर्य की रोशनी मे भी
बिजली का बल्ब,
जला रहा है !
















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92- परिभाषा


प्रजात्रंत की भी
एक परिभाषा है,
पाँच साल का
अन्तर,
आदमी और नेता में
हो जाता है !















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93- गणेश चतुर्थी


गणेश चतुर्थी और
गणेश विसर्जन ने भी
आदमी को कुछ
सिखाया है,
प्रजातंत्र में
कुर्सी पर
बैठाने-उठाने का,
नया दौर चलाया है !













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94- दुर्घटना


स्वार्थ ने,
मानवता का साँधा
बदल दिया है,
आज आदमी, आदमी की
पटरी से
उतर गया है !














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95- विकलांग वर्ष


लाठी भी
विकलांग वर्ष
मना रही है,
देकर सहारा
अन्धें को
चला रही है !
















-रमेशकुमार भद्रावले
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1 comment:

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

wahh sundar kataaksh .. subhkamnaye :)